असंख्यात प्रदेशी लोक आकाश में अनंतानंत पुदगल कैसे?

सर्वार्थसिद्धि अधिकार 5, सूत्र 13-14 में इस शंका का विस्तार से उत्तर दिया गया है।
उसका संक्षिप्त विवरण-

पुद्गलों का अवगाह लोकाकाश के एक प्रदेश आदि में विकल्प से होता है।- सूत्र 14 का अर्थ।

एक प्रदेश आदि- जिनके प्रारम्भ/आदि में एक प्रदेश है वे एक प्रदेश कहलाते हैं।

पुद्गल के एक परमाणु को एक प्रदेश तो चाहिए ही, क्योंकि वह न तो इससे कम में रह सकता है और न ही अधिक में।
-किन्तु बद्ध या अबद्ध दो परमाणु आकाश के एक प्रदेश अथवा दो प्रदेश में रह सकते हैं।
-बद्ध, अबद्ध 3 परमाणु = 1प्रदेश, 2 प्रदेश, 3 प्रदेश में रह सकते हैं।
-बद्ध, अबद्ध संख्यात परमाणु= 1 प्रदेश 2 प्रदेश, 3 प्रदेश… संख्यात प्रदेश में रह सकते हैं।
-बद्ध, अबद्ध असंख्यात, अनंत स्कन्धों का लोकाकाश के 1, संख्यात, और असंख्यात प्रदेशों में अवगाह हो सकता है।

शंका- पुद्गल तो मूर्त है, फिर बिना विरोध के एक जगह कैसे बन सकता है?
समाधान- अवगाहन स्वाभाव है और सूक्ष्म रूप से परिणमन हो जाता है, जैसे एक ढक्कन में अनेक दीपकों का प्रकाश।

बद्ध - बंध को प्राप्त परमाणु
अबद्ध- खुले हुए परमाणु

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