क्या जैन धर्म रक्त में सम्मूर्च्छिम जीव की उपस्थिति मान्य करने के कारण और उन जीवों की हिंंसा से बचने के लिये रक्तदान का निषेध करता हैं?
क्या जैन धर्म रक्त में सम्मूर्च्छिम जीव की उपस्थिति मान्य करने के कारण और उन जीवों की हिंंसा से बचने के लिये रक्तदान का निषेध करता हैं?