सूतक के संदर्भ में जैन आगम

यदि कोई व्यक्ति अपने घर-समाज से दूर कहीं निवास करते हैं, तो उन्हें सूतक के नियम वैसे ही पालन करना आवश्यक हैं?

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जिनागम में तो हमने ऐसा कही पड़ा नहीं कि सूतक तथा पातक में जिनवाणी न छूना इत्यादि नियम होते हैं।
लेकिन आप उसी घर में रहते है तो अशुद्धि को देखकर हमें जिनवाणी, मंदिर जी की अन्य वस्तुएं नहीं छूनी चाहिए ।
पर अपन लोग मंदिर जी के दर्शन , मोबाइल में स्तुति पूजा अवश्य पड़ सकते है।।
तथा आप दूर रहते है तो आप जिनवाणी आदि छू सकते है ।
यह सब आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपको उस वक्त कैसे भाव है यदि आपको लगता है कि आपको ये नियम करने चाहिए तो करे अन्यथा ना करे ।
पर इस बात से छल ग्रहन न करें ।।
अतः ऐसा सूतक पातक का वर्णन जिन आगम में कहीं देखने को नहीं मिलता है ।।
इस पर अभी विचार विमर्श हो रहा है।।।

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सौर-सूतक के अन्य उदाहरण -
पद्मपुराण, विमलपुराण, संभवपुराण, मुनिसुव्रत पुराण, आदि।


इस विषय पर शुभ विवाह नामक संकलन का विशेष अवलोकन भी किया जा सकता है। या सीधे जैन संविधान की पीएचडी भी देखी जा सकती है - लेखिका डॉ स्वर्णलता जैन

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