अविनाभाव संबंध और निमित्त नैमित्तिक संबंध में क्या अंतर है?

साध्य (probandum) has commitment to three criteria¹ -

  • Desirable (इष्ट / अभिप्रेत) - जो वक्ता को इष्ट हो, जिसे वह सिद्ध करना चाहता है.
  • Unproved (असिद्ध) - जिसको समझना है, उसके लिए वह पहले से सिद्ध नहीं होना चाहिए. अन्यथा, साध्य बनाने का क्या लाभ?
  • Uncontradictory (अबाधित / शक्य) - वह किसी भी अन्य प्रमाण से बाधित न हो अथवा उसमें विरोध नहीं आना चाहिए. वह शक्य होना चाहिए.

Just one condition - the relation of invariable concomitance (व्याप्ति)² of the साधन with the साध्य such that if the former is present, then the latter must also be. And if the latter is absent, the former is also absent.


Here, I think अविनाभाव सम्बन्ध is confused with तादात्म्य सम्बन्ध (for more on तादात्मय सम्बन्ध, check this thread). अविनाभाव सम्बन्ध need not be necessarily restricted to one substance. For instance,

Statement / Relation
अन्वय
व्यतिरेक
  1. जीव और कर्मबन्ध|
    जहाँ जहाँ कर्म बन्ध, वहाँ वहाँ जीव
    | जीव के बिना कर्म बन्ध नहीं.
    2. मोक्ष की प्राप्ति और पुरुष पर्याय
    |
    जो जो मोक्ष गये वे पुरुष पर्याय से ही गये
    |पुरुष पर्याय के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं.
    |

इनमें, और ऐसे अनेक उदाहरण है, जिनमें अविनाभाव तो है, लेकिन तादात्म्य नहीं.

As already stated by @Sulabh,

अतः सभी तादात्म्य सम्बन्ध में अविनाभाव तो होता है, लेकिन जितने अविनाभाव सम्बन्ध है, उनमें तादात्म्य हो भी सकता है, और नहीं भी.


¹ परीक्षामुख, 3.16 (Link for PDF - English, Hindi)
² परीक्षामुख, 3.11

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