निश्चय सम्यकदर्शन किस गुणस्थान से?

समयसार तात्पर्यवृत्ति गा. 276–277 के अनुसार मिथ्यात्वादि सप्त प्रकृतियों के उपशमादिक से निश्चय मोक्षमार्ग प्रारंभ होता है, अर्थात् चतुर्थ गुणस्थान से निश्चय मोक्षमार्ग शुरू होता है, अर्थात् निश्चय सम्यग्दर्शन चतुर्थ गुणस्थान में नियम से होता है.

अब आगे प्रवचनसार गाथा 80 की तात्पर्यवृत्ति उत्थानिका पर ध्यान देते हैं

गुणस्थान का नाम: अविरत सम्यक्त्व - यहाँ “सम्यक्त्व” आदि दीपक होने से सम्यक्त्व इस गुणस्थान से सिद्ध पर्यन्त पाया जाता हैं (तथा “अविरत” अंत दीपक होने से अविरत प्रथम से इसी गुणस्थान पर्यन्त पाया जाता हैं।)

दूसरे अध्याय में इसका स्वरूप बहुत अच्छे से समझा रखा है (क्षयोपशम रूप का स्वरूप section में)
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