काँटे और गुलाब तथा शुभाशुभ भाव और ज्ञायक भाव

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उदाहरण:- उसी कलम में गुलाब होता है और उसी कलम में काँटे। दोनों एक ही कलम में होते हैं, तथापि दोनों के स्वभाव भिन्न-भिन्न होते हैं। एक को हम दूर से ही छोड़ते हैं और एक को माला में डालकर कंठ में धारण करते हैं।

सिद्धांत:- ठीक उसी प्रकार, शुभ-अशुभ भाव और ज्ञान स्वभाव दोनों आत्मा में होते हैं, तथापि शुभाशुभ भाव काँटे के समान तथा ज्ञान स्वभाव गुलाब के समान है। शुभाशुभ भाव तो छोड़ने योग्य, हेय, त्याज्य हैं तथा ज्ञान स्वभाव, वह उपादेय, अवलम्बन करने योग्य है।

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