भेदविज्ञान के examples

  1. जैसे गंदे पानी में फिटकरी घुमाने पर कुछ समय बाद सारी गंदगी निचे बैठ जाती है और वह पानी साफ़ दिखता है, ऐसे ही आत्मा में हो रहे अशुद्ध भावो को बुद्धि पूर्वक गौण करते ही शुद्ध आत्मा ध्यान में आता है ।

  2. जैसे दर्पण में जो बहुत सी चीज़े दिखती है उन्हें गौण करने पर, अरे यह तो दर्पण है ! ऐसा दृस्टि में आता है, ऐसे ही आत्मा में हो रहे राग द्वेष भावो को गौण करते ही, अरे यह तो शुद्ध ज्ञान है ! ऐसा दृष्टि में आता है ।

  3. जैसे स्फटिक मणि के पीछे लाल फूल रखने पर स्फटिक मणि लाल दिखती है, पीला फूल रखने पर पीली दिखती है, पर रंगीन दिखने पर भी स्फटिक मणि तो रंग रहित है, ऐसे ही मोहनीय आदि कर्मो के संयोग से रागी द्वेषी दिखने पर भी, आत्मा तो राग द्वेष रहित है ।

  4. काँटे और गुलाब तथा शुभाशुभ भाव और ज्ञायक भाव

  5. जैसे अग्नि को देखने से आखें उष्ण नहीं हो जाती, ऐसे ही राग द्वेष को देखने से ज्ञान रागी द्वेषी नहीं हो जाता ।

आपको जो और कोई example पता हो, उन्हें बतायें, इनका बार बार विचार करने पर भेदविज्ञान होता है

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