अष्ट द्रव्य और गंधोदक

हम भगवान को जो दव्य चढ़ाते है ,उसका तात्पर्य यह है कि हम उत्कृष्ट पुरुष के समक्ष जलादि बहुमूल्य वस्तु (पदार्थ)का त्याग करते है ,और वो देव द्रव्य कहलाता है उसे निर्माल्य कहा जाता है इसी लिए वो अस्पर्शी है ,
सेव्य नहीं है।
*जिस जल से हमने भगवान का अभिषेक किया है ,उसमें अर्पण का अभाव नहीं है ,वो तो केवल अशुद्धता दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है , अतःवह शुध्द होने से ग्राह्य है

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