तोकौं सुख नहिं होगा लोभीड़ा | Toko sukh nahi hoga lobhira

तोकौं सुख नहिं होगा लोभीड़ा ! क्यौं भूल्या रे परभावन में |
किसी भांति कहूँ का धन आवै, डोलत है इन दावन में || टेक ||

ब्याह करूं सुत जस जग गावै, लग्यौ रहैं या भावन में |
दरव परिनमत अपनी गौंत, तू क्यों रहित उपायन में || १ ||

सुख तो है संतोष करन में, नाहीं चाह बढ़ावन में |
कै सुख है ‘बुधजन’ की संगति, कै सुख शिवपद पावन में || २ ||

Artist : कविवर पं. बुधजन जी

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