थांकी तो वानी में हो
(राग मल्हार)
थांकी तो वानी में हो, निज स्वपरप्रकाशक ज्ञान । । टेक ॥।
शीतल होत सुबुद्धिमेदिनी मिटत भवातपपीर ।।१।।
करुनानदी बहै चहुँ दिसितें, भरी सो दोई तीर ।। २ ।।
‘भागचन्द’ अनुभव मंदिर को तजत न संत सुधीर ।। ३ ।।
रचयिता: कविवर श्री भागचंद जी जैन
Source: आध्यात्मिक भजन संग्रह (प्रकाशक: PTST, जयपुर )