तेरे अंतर में भगवान है | Tere Antar me bhagwan hain

तेरे अन्तर में भगवान है, तू मगर फिर भी अनजान है।
माता जिनवाणी समझा रही, सिद्धों जैसी तेरी शान है ॥ टेक ॥

द्रव्य से परमात्मा, शक्ति से परमात्मा ।
भव्य करले प्रभु का प्रभु से मिलन ।।
एक कारण प्रभु, एक कार्य प्रभु ।
गुण तेरे सिद्धों जैसे, लगा ले लगन ॥

कितनी महिमा है हम क्या कहें, गणधर भी कह के हैरान है ।। माता।

मोह विध्वंसनी, विष विषय नासिनी ।
दिव्य ध्वनि वंदनी, माँ तरन तारनी ।।
जो भी जिनवर हुये, आत्म अनुभूति से ।
आत्म अनुभूति दाता छटा साविनी।।

देशना वीतरागी की सुन, चढ़ गई आत्म अनुभव की धुन ।
वंदना बंद हो ना मेरी, मुक्तिदाता तेरी शान है ।। माता ।।