तेरा सुख तुझ में ही | Tera Sukh tujh me hi

तेरा सुख तुझ में ही रहा
ऐसा श्री जिनवर ने कहा
आ निज में आ , ओ मेरी चेतना-²

अवसर अपूर्व आया
प्रभुवर की मान ले
अब भेदज्ञान करके
आतम को जान ले-²

पुण्य उदय में सुख लगा
पाप उदय में गम
इसलिए करता रहा
यों हीं जन्म-मरण
अब तो ज्ञानधारा अंतर में तू बहा
तेरा सुख तुझमें ही रहा-²

दृष्टि को करले सम्यक्
मिथ्यात्व नाशकर
ज्ञानदीप प्रकटा चारित्र प्राप्त कर-²

राग कभी-द्वेष कभी
उलझा रहा ये मन
मिली नहीं शांति कहीं
कर रहा भ्रमण
मिले तुझे जगमें जिनवर शरण महा
तेरा…

निज शुद्ध चेतना का
भावों से ध्यान धर
कर पार भव समंदर
मुक्ति में वास कर
तेरी निधि तुझमें बसी
खोज ले तू स्वयं
कर्मों का मल दूर हटा
बन जाएगा परम
पूर्ण विद्यासागर में डूबकर नहा
तेरा…

Source: Kevalgyan TV