तीन टिकट; शिवपुर के तीन टिकट | Teen Ticket; Shivpur ke teen ticket

तीन टिकट; शिवपुर के तीन टिकट ।
तीन में हीन कछू रह जाये तो शिवनगर अघट ।
शिवपुर के तीन टिकट ॥टेका।

सम्यक दर्शन ज्ञान चरण रत्नत्रय तीन कहावे ।
वीतराग संवेदन ज्ञानी को इक रूप लखावे ।
मूढ़नि को बहुत विकट ॥१॥

शुद्ध चेतना सम रस सागर उपादेय हित भावे ।
ऐसी दृढ़ प्रतीति हो जाके सम्यक् दर्श लहावे ।
जब मोह सुभट ॥२॥

जीवाजीव अर्थ, विघटत थिर रहत यथा परिणावे ।
न्यून अधिक मिथ्यात्व रहित थिर सम्यक् ज्ञान लखावे।
न हो अज्ञान निकट ॥३॥

ब्रह्म स्वरूप विराग विकल्मष चिदानन्द विज्ञानी ।
सम्यक् चारितवन्त रमै त्यों होय निजातम ध्यानी ।
बनै सुख कंद प्रगट ॥४॥

जो रत्नत्रय ध्यावे, सो नर चहुंगति के दुख नाशे ।
पाकर निज गुण कोष 'मनोहर नित्यानंद प्रकाशे ।
झरै विधि बैरी झट ॥५॥

रचयिता: क्षु. मनोहर लाल जी वर्णी

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