श्री जिनवर का दर्शन करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
प्रभु की भक्ति, पूजन करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
जिनगुरुओं की सेवा करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
जिनवाणी पढ़ने अरू सुनने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
औरों को भी सहज सुनाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
तत्त्वों का हम निर्णय करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
सच्चा वस्तुस्वरूप समझने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
भेदज्ञान निज पर का करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
स्वानुभूतिमय श्रद्धा करने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
नित वैराग्य भावना भाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
क्रोध त्यागने, क्षमा धारने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
मान त्यागने, मृदुता धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
माया त्याग, सरलता धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
लोभ त्याग, संतोष धारने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
विषय त्यागने, संयम धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
त्याग परिग्रह, मुनिपद धरने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
हर उपसर्ग परीषह सहने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
आत्मध्यान में स्थिर रहने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
श्रेणी चढ़ने, कर्म नशाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
अक्षय परमातम पद पाने – हैं तैयार, हैं तैयार ।
Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
Source: बाल काव्य तरंगिणी