स्वप्न फल
सोल-सोल सपने देखे हैं आज, फल बतलाओ जी महाराज।
समुद्रविजय का यह दरबार, आज सुनाओजी महाराज ।।टेक।।
हाथी भी देखा वृषभ भी देखा सिंह और लक्ष्मीका अवतार।
बलशाली होगा सुत मात, कर्मठ होगा तेरा लाल।
पुत्र प्रतापी भी होगा ज्ञान लक्ष्मी धारणहार ।।1।।
माला भी देखी चन्द्र भी देखा, देखा चढ़ता सूर्यप्रकाश।
कोमल होगा पुत्र महान, शीतल होगा वह गुण खान।
काटेगा अज्ञान अंधकार, ऐसा होगा सूर्य समान ।।2।।
कलश भी देखा मीन भी देखी सागर और सरोवर शान्त।
गम्भीर होगा सिंधु समान, होगा ज्ञान सरोवर खान।
समुद्रविजय का यह दरबार, आज सुनाओ जी महाराज ।।3।।
सिंहासन और देव विमान, देखा रत्नों का भंडार।
जीतेगा त्रिभुवन को नाथ, उसे लायेगा देव विमान।
अवधिज्ञान विशाल भवन, सोहेगा वो रत्न समान ।।4।।
उज्ज्वल उज्ज्वल अग्नि समान, कर्म नाश कर हो भगवान।
मुख में स्वर्ण वृषभ जो आय, मानो तीर्थंकर अवतार।
सफल हुई नारी पर्याय, त्रिभुवन है नतमस्तक आज ।।5।।