स्वामी तेरा मुखड़ा है | swami tera mukda hai

स्वामी तेरा मुखड़ा है मन को लुभाना,
स्वामी तेरा गौरव है मन को डुलाना ।
देखा ना ऐसा सुहाना-२ ।।स्वामी ।।

ये छवि ये तप त्याग जगत का, भाव जगाता आतम बल का ।
हरता है नरकों का जाना-२ ।।स्वामी ।।१ ।।

जो पथ तूने है अपनाया, वो मन मेरे भी अति भाया ।
पाऊँ मैं तुम पद लुभाना-२ ।।स्वामी ।।२ ।।

पंचम गति का मैं वर चाहूँ, जीवन का ‘सौभाग्य’ दिपाऊँ ।
गूँजे हैं अंतर तराना-२ ।।स्वामी ।।३ ।।

Artist: श्री सौभाग्यमल जी

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