स्वाध्याय से मिलता ज्ञान,
पूज्य जगत में हो विद्वान।
है यह सुख सम्पत्ति की खान,
कोई वस्तु न इस समान।।
स्वाध्याय से पाते बुद्धि,
स्वाध्याय से मन की शुद्धि ।
स्वाध्याय से मिलता ज्ञान,
इसके बिन नर पशु समान ।।
आत्मज्ञान धन गुप्त महान,
ज्ञानदान से बढ़ता मान।
भाई बाँटे हरे न चोर,
यथाशक्ति इस धन को जोड़।।
सुख में दुख में एक समान,
जिनवाणी मम मात सुजान।
माता सकल गुणों की खान,
इससे बने वीर भगवान् ।।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी