सुरनरसुखदाई, गिरनारि चलौ भाई ॥ टेक ॥
बाल जती नेमीश्वर स्वामी, जहँ शिवरिद्धि कमाई ॥ सुर. ॥ १ ॥
कोड़ बहत्तर सात शतक मुनि, तहँ पंचमगति पाई ॥ सुर. ॥ २ ॥
तीरथ महा महाफलदाता, ‘द्यानत’ सीख बताई ॥ सुर. ॥ ३ ॥
अर्थ : अरे भाई! देवों व मनुष्यों को जो सुखकर है, सुख प्रदान करनेवाला है, ऐसे गिरनार तीर्थ की यात्रा करने चलो। उस गिरनार तीर्थ से बालब्रह्मचारी नेमिनाथ भगवान ने मोक्ष गमन किया था।
उस गिरनार तीर्थ से बहत्तर करोड़ सात सौ मुनि मोक्ष गए हैं। वह महान तीर्थ है और महा फलदाता है। इसलिए द्यानतराय जी यह सीख देते हैं कि भाई उस गिरनार तीर्थ की यात्रा को चलो।
रचयिता: पंडित श्री द्यानतराय जी