सुनो | Suno(listen)

सुनो-सुनो भाई पाप पाँच हैं, परमेष्ठी भगवान पाँच हैं।
पाँच पाप को तजना है, पंच प्रभु को भजना है।।

इनसे ही दुख नशाता है, सुख का मारग मिलता है।
होने योग्य सहज ही होता, स्वाश्रय से ही शिवसुख होता।।

Artist: बाल ब्र. श्री रवीन्द्रजी ‘आत्मन्‌’
Source: बाल काव्य तरंगिणी