सुनो जैनी लोगो ! ज्ञानको पंथ सुगम है। Suno Jaini Logo Gyan ko panth Sugam hai

               राग -मल्हार 

सुनो जैनी लोगो ! ज्ञानको पंथ सुगम है। टेक ॥
टुक आतमके अनुभव करतैं, दूर होत सब तम है ॥ सुनो. ॥ १ ॥
तनक ध्यान करि कठिन करम गिरि, चंचल मन उपशम है । सुनो. ॥ २ ॥
‘द्यानत’ नैसुक राग दोष तज, पास न आवै जम है ॥ सुनो. ॥ ३ ॥

अर्थ- साधर्मी जैन बन्धुओ सुनो, ज्ञान का मार्ग सरल है, भली-भाँति गमन करने योग्य है।

जरा-सा आत्मस्वरूप के चिन्तवन में अपने मन को लगाने पर संसार के दुःखरूपी अंधकार के विचार से मन हट जाता है।

जरा-सा आत्मस्वरूप का चिन्तवन करने पर कर्मरूपी पहाड़ की उत्तुंगता ऊँचाई तथा मन की चंचलता, दोनों का उपशम हो जाता है, कुछ समय के लिए उनके परिणाम नीचे दब जाते हैं, उभरकर फल नहीं दे पाते।

द्यानतराय जी कहते हैं कि तनिक-सा राग-द्वेष छोड़, फिर यम का भय भी पास नहीं फटकता है अर्थात् मृत्यु का भय भी आतंकित नहीं करता है।

रचयिता: पंडित श्री द्यानतराय जी
सोर्स: द्यानत भजन सौरभ