सुनी ठगनी माया, तैं सब जग ठग खाया | Suni thagni maaya, taen sab jag thag khaaya

सुनी ठगनी माया

सुनी ठगनी माया, तैं सब जग ठग खाया |
टुक विश्वास किया जिन तेरा, सो मूरख पिछताया || टेक ||

आपा तनक दिखाय बीज ज्यों, मूढमति ललचाया |
करि मद अंध धर्म हर लीनौं, अंत नरक पहुँचाया || १ ||

केते कंत किये तैं कुलटा, तो भी मन न अघाया |
किस ही सौं नहिं प्रीति निबाही, वही तजि और लुभाया || २ ||

‘भूधर’ छलत फिरै यह सबकों, भोंदू करि जग पाया |
जो इस ठगनी कों ठग बैठे, मैं तिनको सिर नाया || ३ ||

Artist : कविवर पं. भूधरदास जी

Singer- @Asmita_Jain

Meaning:

हे मानव, सुनो, यह माया (धन) ठगनी है, इसने सारे जगत को ठग लिया है। जिस किसी ने भी इस पर विश्वास किया, वह मूरख बनकर पछताया है। बिजली-सी चमक को देखकर जो मूर्ख लालच में आ गया, उसको मदांध कर इसने धर्मच्युत कर दिया और फिर अन्त में उसे नरक में पहुँचा दिया इस माया ने कितने लोगों को अपना स्वामी बनाया किन्तु फिर भी इसका मन नहीं भरा। इसने किसी से भी अपनी प्रीति नहीं निभाई, यह सदैव एक को छोड़कर दूसरे को लुभाती रही है।
भूधरदास कहते हैं कि माया सबको छलती-फिरती है, जिसने इस पर विश्वास किया, उसी को यह ठगती रही है, सारे जगत को भोदू बना रही है। जिसने इस ठगिनी माया को जीत लिया है, मैं उसे नमन करता हूँ।

माया = धन-वैभव, लक्ष्मी। कन्त = पति।

[Source: भूधर भजन सौरभ]

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