सुन्दर सुन्दर सोलह सोलह सपने देखे माता ने
नाच उठा मन पुलकित हरषाया ।।
हस्तिनापुर की यह शोभा, आज कुछ अद्भुत ही होगा।-2
सभा में महाराजा हैं माँ बतलायें आख़िर क्या होगा ?
सोलह सपने आये जी, माँ का चित हर्षाये जी
जाने क्या फ़ल होगा सपनों का, राजन बतलाओ जी
- हाथी
रात में चन्द्रमा जब चांदनी बिखरा रहा था
गर्जना करता हुआ गज स्वप्न मेरे आ रहा था।
समझ में कुछ न आता स्वप्न क्या बतला रहे हैं
बताएं कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
वाह वाह प्रिय! क्या सपना देखा
गर्जन करते गज को देखा
जो फल तुम जान ये जाओगी
तो फूली नहीं समाओगी
तुम गर्भवती हो प्राण प्रिय
यह पुत्र नहीं सामान्य प्रिय
ये बलशाली ये बुद्धिमान
ये निडर, वीरता का प्रमाण
ये शीर्ष गर्जना दिव्यध्वनि
गुरुणां गुरु यह अहो धनी
तुम माता बनने वाली हो
शांति को जनने वाली हो।।
2. बैल
वृषभ का प्रकट होना स्वप्न दूजा था अनोखा
शुक्ल था वर्ण उसका कंध विस्तृत शुभ स्वरूपा।
वृषभ को देखना शुभ स्वप्न क्या बतला रहे हैं
बतायें कौनसी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
यह स्वप्न नहीं सामान्य प्रिय
यह नव युग का निर्माण प्रिय
होगा श्रेष्ठों में श्रेष्ठ तनय
तीनों जग में होगी जय-जय
यह शुक्ल वृषभ सूचक शुभ है
सूखे भू को जल का नभ है।।
ज्यों वृषभ भार को ढोता है
स्वामी निर्भर सो होता है
यह तत्व प्रकाश को लाएगा
सबको निर्भार करायेगा
जग में उत्सव घर-घर होगा
देवी! यह तीर्थंकर होगा।।
3. सिंह
तीसरा स्वप्न देखा सिंह बलशाली निशा में
वर्ण से श्वेत कंधे लाल शोभा दश दिशा में।
चाँदनी हो बिखरती और संध्या लालिमा सा
धवल अर लाल रंगों का अति सुंदर समां था।।
होगा बलशाली शूरवीर
निर्भय स्वभाव युत महावीर
जग को भी निर्भयता देगा
यह राग द्वेष को हर लेगा
यह सिंह समान दहाड़ेगा
कर्मों को शीघ्र पछाड़ेगा
यह श्वेत वर्ण मानो नभ है
कंधे ये लाल सूर्य सम हैं
शोभा पाता वह ज्यों अखंड
शुभ सूचक सिंह के लाल कंध
निर्भीक निडर बालक होगा
निर्ग्रंथमार्ग पालक होगा।।
4. लक्ष्मी
अचंभित हूँ प्रभु फिर लक्ष्मी को मैंने था देखा
कमल आसन विराजित रूप सुंदर था अनोखा
देवगज नीर से अभिषेक करते जा रहे थे।
बताये कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे थे।। सोलह सपने आये जी…
सच में सपने अद्भुत आये
सौभाग्य मेघ मानो छाये
होगा लौकिक लक्ष्मी धारी
शुभ कर्मों की है बलिहारी
अध्यात्म लक्ष्मी दाता होगा
दुःख का नाशक त्राता होगा
और इन्द्र मही पर आएगा
मेरु ऊपर ले जाएगा
अभिषेक तनय का वह करके
झूमेगा वह जय-जय करके
षट्खण्ड विजय को पाएगा
यह चक्रवर्ती कहलायेगा।।
5. माला
जगत स्वामी सुनें पंचम जो सपना मैंने देखा
प्रमूदित था मेरा मन पुष्प मालाओं को पेखा
मधुर झंकार करते भृंग सब ललचा रहें है।
बताये कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
हर स्वप्न अचंभित करता है
मुझको रोमांचित करता है
माला सद्धर्मतीर्थकारी
यह धर्मतीर्थ का अधिकारी
माला सम मनहारी होगा
कोमल स्वभाव धारी होगा।।
पूजेंगे इंद्र नरेंद्र उसे
सुरइंद्र और मृग इंद्र उसे
गुणरूपी पुष्पों की सुगंध
छायेगी मन पर मंद मंद
देवी! थोड़ा और मुस्काओ
आगामी स्वप्न भी बतलाओ।।
6. चंद्रमा
चंद्रमंडल को देखा और देखी चांदनी थी
निशा स्त्री का आभूषण बड़ी मनभावनी थी।
बहुत सारे थे तारे घेरते ताराधिपति को
लगे ऐसे कि जैसे देखती निज आकृति को।।
चंदा की बड़ी सुखद छाया
शीतल हो जाती मनकाया
दर्शन इसके ऐसे होंगें
चंदा जैसे शीतल होंगें
आसन्न जो इसके आयेगा
वह शीतलता ही पायेगा
चंद्रमा कलाओं से शोभित
होता है जग उस पर मोहित
यह अध्यात्म कला को धर करके
कंटक मिथ्यात्व शमन करके
मुक्ति के पुष्प लगाएगा
जग का त्राता कहलाएगा।।
- सूर्य
अचल से उदित होता अंशुमाली स्वप्न आया
कि तम का वह विनाशक गगनमंडल में था छाया।
कनक कलशा हो जैसे वे दिवाकर आ रहे हैं
बताये कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
सूरज ज्यों नभ में उगता है
डर अंधकार भग उठता है
त्यों ही प्रिय यह बालक होगा
मोहांधकार नाशक होगा
दिनमणि जैसा ही चमकेगा
यह दशों दिशा में दमकेगा
नभ मण्डल में सूरज महान
उस जैसा नहीं कोई समान
त्यों ही प्रिय सुत अपना होगा
अद्भुत आभा से युत होगा
जग को सन्मार्ग दिखाएगा
यह तीर्थंकर कहलायेगा।। - कलश
स्वप्न अष्टम कलश को मैं निशा मैं देखती थी
युगल कलशों को मैं कमलों से सज्जित पेखती थी।
खचित मणियों से सुंदर कलश सपने आ रहे थे
बताएं कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे थे।। सोलह सपने आये जी…
कलशे में निधि का संग्रह कर
कहलाता है स्वामी ज्यों नर
त्यों ही गुण निधि को धर करके
मन कलशे में गुण भर करके
मुक्ति मग पर बढ़ जाएगा
यह कलश शिखर चढ़ जाएगा
आत्मानुभूति से हो पोषित
होगा कलशे सा वह शोभित
देवी तुम हो सौभाग्यवान
माताओं में माता महान
मन मोर सभी का झूमेगा
जय जय जय जय जग गूँजेगा - मीनयुगल
कुमुद अर नीलपंकज थे सरोवर में समाये
परस्पर प्रेम क्रीड़ा युत युगल दो मीन आये।
मेरे नैनों का मानो रूप वे बतला रहे थे
बताएं कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे थे।। सोलह सपने आये जी…
यह मीन युगल अद्भतु सपना
अद्भुत से अद्भुत सुत अपना
जग जय जय इसकी गाएगा
यह सुख का मार्ग बताएगा
भोगेगा सुख सम्पति प्रधान
इस भू का यह भूषण महान
परलोक में भी जब जाएगा
सुख अव्याबाध को पाएगा
सम्यक्दर्शन का बल पाकर
निज को निज से निज दिखलाकर
सुंदरतम रूप को पाएगा
यह कामदेव कहलायेगा - सरोवर
सरोवर का था सपना चित्त मेरा था प्रफुल्लित
पद्म से युक्त पद्माकर लखा मन था रोमांचित।
सरोवर के निकट सब गीत पक्षी गा रहे हैं
बताये कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
हे देवी! आज मैं धन्य हुआ
ऐसे सुत का मैं जन्य हुआ
पद्माकर जो सपने आया
अद्भुत सपना सपने आया
होगा बालक अति ही विशेष
पद्माकर सम ही सर्वश्रेष्ठ
क्षण कैसे भी क्यों न आएँ
अनुकूलायें प्रतिकूलायें
यह समता को ही धारेगा
निज को ही अधिक निखारेगा
शांति का यह धारक होगा
जग का त्राता तारक होगा।। - समुद्र
सिंधु को देख स्वामी मैं अचंभित हो रही थी
लहर उठती पुनः वह मूल में ही खो रही थी।
झलकते जलकणों से उदधि हँसते जा रहे हैं
बताये कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
ज्यों सिंधु नदी का स्वामी है
नदिपति संज्ञा से नामी है।
त्यों ही यह जग स्वामी होगा
त्रिलोकपति नामी होगा
गहराई में जो जाते हैं
रत्नों को वे ही पाते हैं।
गहराई इसमें नंत प्रिय
गुणराशि होंगी अनंत प्रिय
निज सीमा अपनी जानेगा
मर्यादा कभी न लांघेगा
निज आत्मज्ञान दर्शी होगा
सुत अपना सर्वदर्शी होगा - सिंहासन
सिंहासन स्वप्न बारहवां अति उत्तुंग आसन
मणि से युक्त वह सोने का था अद्भुत सिंहासन।
कि आभा सिंह-सी मेरु-सी शोभा पा रहा था
बताएं कौन सी शुभ सूचना दिखला रहा था।। सोलह सपने आये जी…
बल में भी श्रेष्ठ, बुद्धि में श्रेष्ठ
तब जाकर सिंह बनता है ज्येष्ठ
त्यों ही सुत प्रिय अपना होगा
करुणा होगी, बहुबल होगा
सिंहासन को यह पाएगा
राजाधिराज कहलाएगा
जो तेज प्रजा में लाती है
वह गद्दी सिंहासन कहलाती है
यह तेज मोक्ष का लाएगा
निर्ग्रंथ मार्ग बतलाएगा
घर घर आतम आतम होगा
पामर भी परमातम होगा।। - देवविमान
जगत स्वामी त्रयोदशी स्वप्न देव विमान आया
कि रत्नों से सुशोभित चित्त में वो जा समाया।
प्रसूति गृह सा मानो भेंट में वह आ रहा था
बताएं कौन सी शुभ सूचना दिखला रहा था।। सोलह सपने आये जी…
जिस जीवन की तुम दात्री हो
सचमुच तुम अद्भुत मातृ हो
यह स्वर्ग विमान बताता है
बालक जो कोख में आता है
वह बालक स्वर्ग से आएगा
कुक्षी को धन्य कराएगा
इन्द्रादिक भी सेवक होंगे
सेवा ने सब तत्पर होंगे
जो देव विमान ये आया है
इक और सूचना लाया है
निर्ग्रंथ वेश धारी होगा
पंचम गति अधिकारी होगा - नागेंद्रभवन
भेद करके माही को फिर भवन नागेंद्र आया
अति उन्नत हे स्वामी! थी अलौकिक उसकी माया।
कल्पतरु सम थी जाति किंतु क्या बतला रहे हैं
बताये कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
देवी मैं कितना हर्षित हूँ
हर सपने पर आकर्षित हूँ
यह नागभवन शोभायमान
शुभ कारज का यह है प्रमाण
जिस दिन यह जन्म को पाएगा
युत अवधिज्ञान हो जाएगा
सम्यक् रीति से जानेगा
वस्तुस्वरूप पहचानेगा
दर्शन सम्यक् ज्ञानी होगा
चारित्रवान ध्यानी होगा
लोगों की भूल मिटायेगा
धन को यह धूल बताएगा - रत्न
पांच रत्नों को देखा स्वप्न पन्द्रहवा अनोखा
कभी पन्ना कभी सोना कभी नीलम को पेखा।
माही से रत्न मानो भेंट बनकर आ रहे हैं
बताये कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे हैं।। सोलह सपने आये जी…
मणि तो जग में प्रिय हैं अनेक
होता है रत्न उनमें विशेष
त्यों ही जग में नर बहुत अधिक
नरपति किंतु होता है एक
यह सुत नरपति होगा महान
छू भी न सकेंगे भोग-काम
पंचमहाव्रत पालन कर
रत्नत्रय मस्तक धारण कर
तप की आभा से चमकेगा
रत्नों सा सुत यह दमकेगा
जड़मणि को यह ठुकरायेगा
मुक्ति पथ पर बड़ जाएगा - अग्नि
रहित थी धूम से अग्नि मुझे शुभ लग रही थी
स्वप्न अंतिम था स्वामी अग्नि ज्वाला जल रही थी।
कर्ममल मानो अग्नि में ही जलते जा रहे थे
बताएं कौन सी शुभ सूचना दिखला रहे थे।। सोलह सपने आये जी…
अग्नि के मुख में कर प्रवेश
कल्मषता न रहती है शेष
वस्तु अतिशुद्ध कहाती है
जब अग्नि उसे तपाती है
यह शुद्धउपयोग को पाएगा
कर्मों को पूर्ण जलायेगा
यह चक्रवर्ती, यह कामदेव
यह तीर्थंकर देवाधिदेव
इसकी धुनि कभी न टूटेगी
शांति की धार न फूटेगी
अपना सुत प्रिय ऐसा होगा
जो कभी नहीं जैसा होगा