सिद्धों की आत्मा से मेरा तार मिल गया
वो वीतराग भाव-²
वो शुद्ध सुख स्वभाव से मेरा तार मिल गया
वो निर्मोही अविकारी, दशा अरूपी अतिप्यारी
भव प्रपंच से मुक्त प्रभु, आतम अनुभव लीन विभु
निर्लिप्त ज्यों कमल से मेरा तार मिल गया
केवलज्ञान लोक विमल, कण-कण ज्योति भरी निर्मल
अनासक्त ज्ञाता-द्रष्टा, अभय अकिंचन पूर्ण अचल
संभाव निष्प्रकंप से मेरा तार मिल गया
मैं भी सिद्ध स्वरूपी हूँ,
आत्मा गुणों से भूषित हूँ
शांत सुधा प्रतिपल बरसे,
शुद्धातम् अनुभव सरसे-²
मैं सिद्ध बुद्ध हूँ,
विमल बोधि जग गया
सिद्धों की आत्मा से मेरा तार मिल गया…