शुद्धात्मा का श्रद्धान होगा | Shuddhatma Ka Shraddhan

शुद्धात्मा का श्रद्धान होगा, निज आतमा तब भगवान होगा।
निज में निज, पर में पर भासक, सम्यग्ज्ञान होगा ।।जिनदर्शन कर निजदर्शन पा, सम्यग्दर्शन होगा।।टेक।।

नव तत्वों में छिपी हुई जो, ज्योति उसे प्रगटाएँगे।
पर्यायों से पार त्रिकाली, ध्रुव को लक्ष्य बनाएंगे।
शुद्ध चिदानंद रसपान होगा, निज आत्मा तब भगवान होगा ।।(1)

निज चैतन्य महा हिमगिरि से, परिणति घन टकराएँगे,
शुद्ध अतीन्द्रिय आनंद रसमय, अमृत जल बरसायेंगे।
मोह महामल प्रक्षाल होगा, निज आत्मा तब भगवान होगा ।।(2)

आत्मा के उपवन में, रत्नत्रय पुष्प खिलायेंगे।
स्वानुभूति के सौरभ से, निज नंदनवन महकायेंगे।
संयम से सुरभित उद्यान होगा, निज आत्मा तब भगवान होगा ।।(3)

Artist - पं. अभयकुमार जी, देवलाली

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