श्री शीतलनाथ स्तुति | Shri Sheetalnath Stuti

शीतलता का स्रोत आत्मा, आज दृष्टी में आया है |
मिथ्या तपन मिटी सब प्रभुवर, मुक्ति मार्ग प्रगटाया है ||

शीतलनाथ जिनेन्द्र आपको, शत शत बार नमन हो |
अब पुरुषार्थ आप - सा प्रगटे, भव में नहीं भ्रमण हो ||

सर्व समागम मिला आज प्रभु, नहीं बहाने का कुछ काम |
तोड़ सकल जग द्व्न्द फंद, मैं निज में ही पाऊँ विश्राम ||

परम प्रतीति सु उर में जागी, हूँ स्वतंत्र निश्चल निष्काम |
निज महिमा में मग्न होय प्रभु, पाऊँ शिवपद परम ललाम ||

  • बाल ब्र. रविंद्र जी ‘आत्मन’
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