श्री नेमिनाथ स्तुति | Shri Neminath Stuti

ब्रह्ममय परिणति के हो धारक प्रभु, नेमि जिनवर नमन भाव से नित करूँ |
जग में वैराग्य अनुपम विभो आपका, आप-सा ही दयाभाव चित्त में धरूँ || १ ||

होके भोगों में अंधा भटकता फिरा, घात निज पर का करता रहा हर्ष धर |
आपके दर्श कर दृष्टी सम्यक मिली, मेरा चैतन्य चिद्रूप आया नजर || २ ||

हे प्रभो ! भावना आपको ध्याय कर, आप ही आप सा आत्म योगी बनूँ |
तज के किंपाक फल सम विषय भोग मैं, आत्मवैभव का स्वाधीन भोगी बनूँ || ३ ||

चाहे अनुकूलता हो अथवा प्रतिकूलता, होव समतामयी नाथ परिणति मेरी |
भवरहित भाव चैतन्य में लीन हो, हे प्रभो ! अब मिटे मेरी भव भव फेरी || ४ ||

Artist: बाल ब्र. रविंद्र जी ‘आत्मन’

Singer : @Anushri_Jain

6 Likes