श्रीगुरु हैं उपगारी ऐसे वीतराग गुनधारी वे । Shri Guru hain Upgari aise veetrag Gundhari ve

श्रीगुरु हैं उपगारी ऐसे वीतराग गुनधारी वे

(राग खमाच)

श्रीगुरु हैं उपगारी ऐसे वीतराग गुनधारी वे । । टेक ||
स्वानुभूति रमनी सँग क्रीड़ें, ज्ञानसंपदा भारी वे ।। १ ।।
ध्यान पिंजरा में जिन रोकौ, चित खग चंचलचारी वे ।।२ ।।
तिनके चरनसरोरुह ध्यावै, ‘भागचन्द’ अघटारी वे || ३ ||

रचयिता: कविवर श्री भागचंद जी जैन