श्री चन्द्रप्रभ स्तुति
श्री चन्द्र जिनवर चन्द्र अंकित, चन्द्र वर्ण सुधा निधम् ।
नर इन्द्र चन्द्र मुनीन्द्र वन्दित, चन्द्रनाथ जिनेश्वरम् ।।
शिवधेश वेश विकार वर्जित, क्लेश हर मन रंजनम् ।
मद मोह मान महान दुखनिधि, प्रबल मन्मथ भंजनम् ।।
प्रभु पाप पंक कलंक वर्जित, सित् मयंक गुणागरम् ।
अघरूप वनदव भस्मकर्ता, अक्ष विजयी जिनवरम् ।।
विधि मेघश्याम समूह नाशक, तीव्र पवन प्रचण्डनम् ।
भवताप हर सुख साजकर, वरदीप नभ मार्तण्डनम् ।।
तुम दिव्यज्योति दिनेश कोटिक, दिव्यरूप प्रभाहरम् ।
तुम दिव्यवाणी दिव्यज्ञानी, दिव्यमूर्ति निरंजनम् ।।
सत्मग प्रकाशक पाप नाशक, श्रेष्ठ शासक वन्दनम् ।
फल मुक्तिदायक विश्वनायक, जनसहायक अघहरम् ।।
कलमल विमोचन ज्ञान लोचन, दरिद मोचन ईश्वरम् ।
कह प्रेमपूर्वक दास ‘भगवत्’ नित्य वन्दे जिनवरम् ।।
रचयिता:- श्री भागवत जी