सत्य सनातन धर्म प्यारा लगता है,
निर्ग्रन्थों का मार्ग प्यारा लगता है,
वीर प्रभु का मार्ग प्यारा लगता है,
शुद्धात्म का अनुभव प्यारा लगता है।।टेक।।
महावीर ने धर्म बताया जग को प्यारा,
भीतर में अहो ये केवल जाननहारा।
भेदज्ञान करने से भगवन बनता है।।१।।
छह द्रव्यों की स्वतंत्रता को जान के,
द्रव्य और गुण पर्याय पहिचान के।
परद्रव्यों का भाव कर्तृत्व मिटता है।।२।।
सोचो जानो शुद्धातम की कैसी महिमा,
गुरुदेव को आई इसकी अपार गरिमा ।
महिमा रुचि से कारज होने लगता है।।३।।
धन्य धन्य मुनिराजों का समतामय जीवन
वीतरागता सहित है जिनका प्रचुर संवेदन।
शीघ्र निर्ग्रन्थ होने का मन करता है।।४।।