संसार भव सगरिया | sansar bhv sagariya

संसार भव सगरिया, फेर लो नजरिया
एक बार तुम आ जाओ बस सुख के प्यासे भव्यो
भेदज्ञान की डगरिया।।टेक।।

देव हमें बतलाते, ऐसा हमें समझाते,
अपनी अंतर आत्मा को देखो तो जरा।
ज्ञान दर्शन है मुझमें, सुख वीर्य हैं मुझमें,
मैं तो हैं अनंत प्रभुता से भी भरा।।
रत्नत्रय से मैं भरिया, शान्ति का दरिया।।१।।

जिनमंदिर जी में आओ,
निज को निज में ही पाओ
प्रभु की प्यारी मुद्रा को निहारो तो जरा।
नासा पर सुदृष्टि है, झलकी सारी सृष्टि है।
शान्त सौम्यता की मुद्रा से होती है वर्षा।।
इन्द्र नवावें सु मथिया, भूलें सब बतियाँ।।२।।

आदीश्वर जिन स्वामी हैं, महावीर जिन नामी हैं,
बाहुबली स्वामी भी विराजे हैं अहा।।
कुन्दकुन्द स्वामी हैं, माँ श्री जिनवाणी हैं।
जैनधर्म में गुरुदेव का अमृत है बहा।।
हरने मिथ्यातम अँधिरिया, आओ मङ्गलायतन नगरिया।।३।।

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