सब विधि करन उतावला।Sab Vidhi Karan Utawala

सब विधि करन उतावला, सुमरनकौं सीरा ॥ टेक ॥
सुख चाहे संसारमैं यों होय न नीरा ॥
जैसे कर्म कमावे है, सो ही फल वीरा।
आम न लागै आकके, नग होय न हीरा ॥ १ ॥ सब विधि. ।।

जैसा विषयनिकों चहै न रहै छिन धीरा।
त्यों ‘भूधर’ प्रभुकों जपै, पहुंचै भव तीरा ॥ २ ॥ सब विधि .।।

अर्थ- हे मनुष्य! तू और सब कार्य करने के लिए तो अत्यन्त उतावला व अधीर रहता है, परन्तु प्रभु स्मरण के लिए आलसी अर्थात् ढीला व सुस्त रहता है। यदि संसार में सुख चाहता है तो तू इस प्रकार अज्ञानी/ अविवेकी मत बन

तू जैसे कार्य करेगा, उसके अनुसार ही तुझे फल प्राप्त होंगे। आकड़े के पेड़ में आम के फल कभी नहीं लगते और न सभी नग (पत्थर) हीरा होते हैं। तू जिस प्रकार विषयों को चाहता है और उनके लिए एक क्षण भी धैर्य धारण नहीं करता, यदि उसी प्रकार उतनी ही उत्सुकता से तू प्रभु का नाम जपे तो शीघ्र ही इस भवसागर के पार पहुँच जाय ।

रचयिता: पंडित श्री भूधरदास जी
सोर्स: भूधर भजन सौरभ

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