राज जग का मिले, धर्म तेरा मिले | raaj jag ka mile dharm tera mile

राज जग का मिले, धर्म तेरा मिले, न तो क्या हैं?
साज सारे सजे, सुर एक भी मिले, न तो क्या है ?

मैं एक पंछी मजबूर हूँ, तुमसे प्रभुजी बहुत दूर हूँ-२
पंख मेरे बढ़े…-२ किन्तु पिंजरा खुले ना तो क्या है?॥१॥

जकड़ा हुआ हूँ मैं जंजीर में, कैसे मैं पहुंचूंगा मंजिल पे-२
अंग सारा भला…-२ पैर मेरे बढ़े ना तो क्या है ?॥२॥

संध्या सलौनी सुहानी खिली, इंद्र धनुष की हो रंगावली-२
हो सुहानी सुबह…-२, नैन मेरे खुले ना तो क्या है ?॥३॥

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