प्राणीलाल ! धरम अगाऊ धारौ | Pranilaal ! Dharam agau dhaaro

प्राणीलाल ! धरम अगाऊ धारौ |
जबलौं धन जोवन हैं तेरे, दान शील न विसारौ || टेक ||

जबलौं करपद दिढ़ हैं तेरे, पूजा तीरथ सारौ |
जीभ नैन जबलों हैं नीके, प्रभु गुन गाय तिहारौ || १ ||

आसन श्रवण सबल हैं तोलौं, ध्यान शब्द सुनि धारौ |
जरा न आवै गद न सतावै, संजम पर उपकारौ || २ ||

देह शिथिल मति विकल न तौलों, तप गहि तत्वविचारो |
अन्त समाधि पोत चढ़ि अपनो, ‘घानत’ आतम तारो || ३ ||

Artist- पं. घानतराय जी