प्रभुवर का निर्वाण दिवस | Prabhuvar Ka Nirvaan Diwas

प्रभुवर का निर्वाण दिवस, हो मेरा कल्याण दिवस।।टेक।।

यही भावना अन्तर में, मुक्ति साधूँ अन्तर में।
महाभाग्य पाये परमातम, अनंत चतुष्टय मय शुद्धातम।।
धन्य घड़ी है धन्य दिवस, प्रभुवर का निर्वाण दिवस।।(1)।।

जग प्रपंच से चित्त घबराया, शरण जिनेश्वर की हूँ आया।
ज्ञान ध्यानमय मार्ग सुहाया, ध्रुव परमेश्वर निज में पाया।।
है मंगलमय धन्य दिवस, प्रभुवर का निर्वाण दिवस।।(2)।।

भोगों के प्रति ग्लानि आई, परिग्रह से परिणति घबराई।
सम्यक् तत्व भावना भाऊँ, अहो! प्रगट निर्ग्रन्थ हो जाऊँ।।
दीक्षा का हो जाए दिवस, प्रभुवर का निर्वाण दिवस।।(3)।।

प्रभु पथ का अनुगामी हो, सहजपने शिवगामी हो।
निज में ही रम जाऊँगा, घाति कर्म नशाऊँगा।।
होगा केवलज्ञान दिवस, प्रभुवर का निर्वाण दिवस।।(4)।।

जग में धर्म प्रवर्तन हो, मुक्तिमार्ग में वर्तन हो।
सम्यक रत्नत्रय पावें, मंगलमय सब हो जावें ।।
ज्ञान विरागमयी हो दिवस, प्रभुवर का निर्वाण दिवस।।(5)।।

शेष अघाति कर्म नशाय, अशरीरी ध्रुव पद प्रगटाय ।
दुखमय आवागमन हरूँ, लोक शिखर पर वास करूँ।।
मेरा भी निर्वाण दिवस, प्रभुवर का निर्वाण दिवस।।(6)।।

Artist - बा॰ब्र० श्री रवीन्द्र जी आत्मन्

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लय: रोम रोम पुलकित हो जाए, जब जिनवर के दर्शन पाए