प्रभु जी पधारे म्हारे आँगणे…२
बहें आनन्द… बहे आनन्द रस की बयार…
आज सारी नगरी में…२ ॥
त्रिभुवन माता धन्य तुम…२
जायों ज्ञायक… जायों ज्ञायक,
पुत्र महान… झूम उठी नगरी रे… ॥१॥
घर घर मंगलाचार हो…२
लियो अन्तिम… लियो अन्तिम,
जन्म महान… आज इस नगरी में… ॥२॥
सब ऋतु पुष्पित हो गई…२
उड़े ज्ञान… उड़े ज्ञान, गुणों की गुलाल…
आज इस नगरी में… ॥३॥
वसुधा झूमे हर्ष से… वसुधा झूमे हर्ष से।
लख बाल… लख बाल, प्रभु मनहार…
सज गई नगरी रे… ॥४ ।।।