पिया बिन कैसे खेलूँ होरी।।टेक।।
आतमराम पिया नहिं आये, मोकूँ कैसी होरी।।1।।
एक बार प्रीतम संग खेलैं, समकित केसर घोरी।
‘द्यानत’ वो समयो कब पाऊँ, सुमति कहै कर जोरी।।2।।
Artist- पं. द्यानतराय जी
Meaning-
सुमति रूपी स्त्री हाथ जोड़कर कहती है कि अरे, मैं अपने पति आतमराम के बिना होली कैसे खेलूँ? मेरे पति आतमराम अभी मेरे पास आये ही नहीं हैं, मुझे होली का क्या अर्थ है? मैं तो उस धन्य अवसर की प्रतीक्षा कर रही हूँ जब मैं एक बार सम्यक्त्व रूपी केसर घोलकर अपने पति के साथ होली खेलूँगी।