पावापुर भवि वंदो जाय । Pavapur Bhavi Vando Jaye

पावापुर भवि वंदो जाय ॥ टेक ॥

परम पूज्य महावीर गये शिव, गौतम ऋषि केवलगुन पाय ॥ १ ॥
सो दिन अब लगि जग सब मानैं, दीवाली सम मंगल काय ॥ २ ॥
कातिक मावस निस तिस जागे, ‘द्यानत’ अदभुत पुन्य उपाय ॥ ३ ॥

अर्थ:

हे भव्य ! तुम पावापुर में जाकर वंदना करो जहाँ से परमपूज्य भगवान महावीर का निर्वाण हुआ है और गौतम गणधर को कैवल्य (गुण) की प्राप्ति हुई है।

तब से अब तक उस दिन को सब विशेष मानने लगे हैं। वह दिन मंगल- उत्सव के समान मनाया जाता है, उस दिन दीपावली मनाते हैं जो मंगलकारी है मंगल को करनेवाला है।

द्यानतराय जी कहते हैं कि जो कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि में जागते हैं, आत्मरुचि जागृत करते हैं वे अद्भुत पुण्य के भागी होते हैं।

सोर्स: द्यानत भजन सौरभ
रचयिता: पंडित श्री द्यानतराय जी

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