पंचकल्याणक आऐ, आऐऽऽऽकल्याणक आए
मङ्गलायतन में मङ्गलमय महो-महोत्सव मनाए ॥टेक॥
आगमन तीर्थङ्कर प्रभु का, रोम रोम हर्षाए
अभिनंदन करने जिनवर का, नरपति सुरपति आए
पंच कल्याणक आए… ॥१ ।।
पुलकित अवनी पुलकित अंबर, पुलकित दसों दिशाए
अनुपमेय अवतार आपका, अमृत रस बरसाए
पंच कल्याणक आए… ॥२॥
अंतरबल से ही आदीश्वर, सर्वश्रेष्ठ पद पाए।
दिव्यरूप लखकर जिनवर का, निज की सुधी-बुधी आए
पंच कल्याणक आए… ॥३॥