निशा चाँदनी शीतल सुंदर , छट गई भोर हुई माँ ।
अब तो माता उठ भी जाओ , बहुतई देर भई हाँ ॥
चंचल चितवन चमचम चहरा, क्या कुछ बात अनोखी है ?
या निद्रा में ज्ञायक प्रभु की, सुंदर छवियाँ देखी हैं ?
मत शरमाओ उठ भी जाओ, बहुतई देर भई हाँ ।। निशा चाँदनी…
इस करवट से उस करवट पर, आसन कितने बदलोगी ?
इस रहस्य का कारण क्या है, कब मन बतियाँ बोलोगी ?
इतना तंग करो मत माता, बहुतई देर भई हाँ ।। निशा चाँदनी…
रवि किरणों से देखो माता, आँख मिचौली करती हैं ।
स्वप्नों में भी ज्ञान गुफा में, क्षण-क्षण केली करती हैं ।
छोड़ो भी अब कोमल शय्या, बहुतई देर भई हाँ ।। निशा चाँदनी…
अच्छा अच्छा अब मत छेड़ो, लो अब मैं उठ जाती हूँ ।
सुस्वपनों का फल क्या होगा, जानन को अतुराती हूँ ।
कितना तंग किया तुम सबने, सचमुच देर भई हाँ ।। निशा चाँदनी…
Lyrics by- @anubhav_jain