ज्ञान वैराग्य का उर में स्पंदन,
शिवमार्ग आरोही निर्मोही को वंदन ।
निर्मोही…निर्मोही… निर्मोही को वंदन ।।
जिन मार्गी, अहो भावी, प्रभु का अभिनन्दन
निर्मोही…निर्मोही… निर्मोही को वंदन ।।
सिद्धो संग केलि करने को जिन आज्ञा है धारी ।
कृत्य कृत्य हो गए प्रभुजी संयम भाव शृंगारी ।
अनंत भवो का अब होगा खंडन ।। निर्मोही…
मैं चेतन हूँ ध्रुव निश्चय कर स्वयं स्वरुप निहारा ।
व्रत परिषह तो स्वतः पलेंगे, कर्मों की धधकती ज्वाला ।
अलिप्त हो निज आतम का सिंचन ।। निर्मोही…
Lyrics by- Gyayak Ji