Nigod to Nigod via human life

अप्रतिष्ठित वनस्पति में असंख्यात जीव होते है और सप्रतिष्ठित वनस्पति में अनन्त ।

अब यदि अप्रतिष्ठित वनस्पति के उदाहरण के लिए एक लौकी की बात करें, तो उसमें एक शरीर के आश्रय से एक जीव रहता है, इतना तो सही है, लेकिन पूरे लौकी में मात्र एक जीव नहीं है, अपितु असंख्यात जीव होते है । इसीलिए तो भोजन में हरी के त्याग की प्रधानता होती है ।

असंख्यात का भाव कुछ इस प्रकार समझ में आ सकता है - असंख्यात माने एक, दस, सौ, हजार, लाख, दस लाख, करोड़, अरब और ऐसा करते करते ऐसी संख्या तक पहुंचना जो मति-श्रुत ज्ञान का विषय नहीं है, उतने जीव एक अप्रतिष्ठित वनस्पति में होते है ।

संख्यात, असंख्यात एवं अनन्त के संदर्भ में कुछ विशेष के लिए इसे देखें [जीवों की कमी नहीं होने का कारण। - #3 by Sowmay]।

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