नरभव पाय फेरि दुःख भरना | Narbhav paay feri dukh bhrna

नरभव पाय फेरि दुःख भरना, ऐसा काज न करना हो |
नाहक ममत ठानि पुद्गल सौं, करमजाल क्यौं परना हो || टेक ||

यह तो जड़ तू ज्ञान अरूपी, तिल तुष ज्यौं गुरु वरना हो |
राग-दोष तजि भजि समता कौं, कर्म साथ के हरना हो || १ ||

यो भव पाय विषय-सुख सेना, गज चढ़ि ईंधन ढोना हो |
‘बुधजन’ समुझि सेय जिनवर पद, ज्यौं भवसागर तरना हो || २ ||

Artist : कविवर पं. बुधजन जी

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