हिलमिलकर सब भक्तो चालो, नंदीश्वर जिनधाममे …(4)
अष्टम द्वीपमे जो हैं राजे, शाश्वत जहां जिनबिम्ब बिराजे;
दिव्य जिनालय बावन सोहे, चहु दिश वावडी पर्वत शोभे;
महिमां अति भगवानकी…(४) हिल…
जिनबिम्बकी शोभा भारी, वीतरागता दर्शक प्यारी;
मानस्तंभ है रत्नना भारी, करे देव सेवा सुखकारी;
जिनेश्वर भगवानकी…(४) हिल…
नंदीश्वर की महिमा गाऊ, दर्शन-पूजन चित्तमे लाऊ;
पहूचन को तो वहां न पाउ, हृदय स्थापी फिर फिर ध्याऊ;
वीतरागी भगवानको…(४) हिल…
स्वर्ण धामनी शोभा सारी, कहानगुरुकी वाणी प्यारी;
मानस्तंभ छे उन्नत भारी, गन्ध कुटी दिसे मनहारी;
शोभा जिनवर-धामकी;…(४) हिल…