म्हारे अंगना पधारे प्रभु आज, पावन शुभ घड़ी आई-²
पावन शुभ घड़ी आई, बाजे मंगल बधाई रे-²
म्हारे अंगना पधारे… ।।टेक
बाल प्रभु की सौम्य छवि लख, माता मन हर्षाय रही-²
मानो कर में सिद्ध प्रभु ले, धीरे-धीरे छुलाए रही-²
झूमे है नगरी सारी, हर्ष में हैं नर-नारी रे-²
म्हारे अंगना पधारे प्रभु…।।1
सुरपति नेत्र हजार प्रभु लख, अद्भुत ताण्डव नृत्य किया-²
पाण्डुकशिला पर प्रभु को लेकर, क्षीरोदधि से नह्वन किया-²
दिव्य वस्त्र पहनाई रे, हर्ष शचि उर न समाई रे-²
म्हारे अंगना पधारे प्रभु…।।2
जग अंधियारा हरने वाला, ज्ञानसूर्य है उदित हुआ-²
मुक्तिमार्ग का पथदर्शक पा, भव्य जीव मन मुदित हुआ-²
शिख नगरी में आई रे, चलो शिवपुर को भाई रे-²
म्हारे अंगना पधारे प्रभु…।।3
प्रभु भक्ति में लीन है सुर नर, प्रभु लीन निजातम में-²
प्रभु समान निज रूप को लख लूं, स्वयं बनो परमातम में-²
मुक्ति निकट में आई रे, लखो निज ज्ञायक भाई रे-²
प्रभु अंगना पधारे प्रभु…।।4
रचनाकार: डॉ ० विवेक जैन, छिंदवाड़ा