म्हारे आंगण आज आई देखो मंगल घड़ी
मंगल घड़ी आई पावन घड़ी…
म्हारे आंगण आज आई देखो मंगल घड़ी…
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मरूदेवी माता जी ललना जायो, तीर्थंकर सुत नाभि घर आयो।
दुल्हन सी आज लागे देखो अयोध्यापुरी…
म्हारे आंगण आज आईं…मंगल घड़ी रे आई पावन घड़ी -
अंतिम जन्म लिया प्रभु तुमने, स्वानुभूति रमणी को वरने।
फिर नरकों में भी पलभर देखो शांति पड़ी…
म्हारे आंगण आज आई…मंगल घड़ी रे आई पावन घड़ी -
सुरपति ऐरावत ले आये, शची इन्द्राणी मंगल गीत गाये।
कलशा सजा ले आये क्षीर नीर भरी ….
म्हारे आंगण आज आई…मंगल घड़ी रे आई पावन घड़ी -
रत्नमयी पलना में झूले, निज वैभव के रतन न भूले
तीर्थेश्वर नाथ महिमा तुमरी जग में बड़ी…
म्हारे आंगण आज आई…मंगल घड़ी रे आई पावन घड़ी -
ज्ञानमात्र का अनुभव करते, परज्ञेयों में जो नहीं रमते।
दृष्टि सदा निज में थिर रहती ज्ञानमयी…
म्हारे आंगण आज आई…मंगल घड़ी रे आई पावन घड़ी
रचनाकार : डॉ० विवेक जैन, छिंदवाडा