म्हारी माँ जिनवाणी । Mhaaree Maa Jinvaani

म्हारी माँ जिनवाणी, थारी तो जय जयकार।
चरणां में राखी लीज्यो, भाव सागर तारी दीज्यो,
कर दीज्यो इतनो उपकार ।।टेक।।

कुन्दकुन्द सा थारा बेटा।
दुखड़ा सब जग का मेट्या ।।

दियो समय को सार ।।1।।

जिनवाणी सुन हरषाए।
‘निश्चित ही भव्य’ कहाए ।।

हो जावे भव से पार ।।2।।

तत्त्वों का सार बतावे।
ज्ञायक से भेंट करावे ।।

कियो अनंत उपकार ।।3।।

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