मेरी अरज कहानी सुनी केवलज्ञानी ।।टेक।।
चेतन के संग जड़-पुद्गल मिलि, सारी बुधि बौरानी ।।1।।
भव वन माहीं फेरत मोकौं, लख चौरासी थानी।
कबलौं वरनौ तुम सब जानो, जनम मरन दुखखानी ।।2।।
भाग भले तें मिले ‘बुधजन’ को, तुम जिनवर सुखदानी।
मोह फांसि को काटि प्रभुजी, कीजे केवलज्ञानी ।।3।।
Artist: कविवर पं. बुधजन जी