मेरे महावीर झूले पलना | Mere Mahavira Jhule Palna

मेरे महावीर झूले पलना, सन्मति वीर झूले पलना |

काहे को प्रभु को बनो रे पालना, काहे के लागे फुँदना |
रत्नो का पलना मोतियों के फुँदना, जगमग कर रहा अंगना |
ललना का मुख निरख के बोले, सूरज चाँद निकलना || (1)

कौन प्रभु को पलना झुलावे, कौन सुमंगल गावे |
देवीय आवें पलना झुलावे, देव सुमन बरसावें |
पालनहारे पलना झूले, बन त्रिशला के ललना || (2)

त्रिशला रानी मोदक लावे, सिद्धारथ हर्षावें |
मणि-मुक्ता और सोना-रूपा दोनों हाथ उठावें |
कुण्डलपुर से आज स्वर्ग का स्वाभाविक है जलना || (3)

निर्मल नैना निर्मल मुख पर, निर्मल हास् की रेखा |
यह निर्मल मुखड़ा सुरपति ने सहस नयन कर देखा |
निर्मल प्रभु का दर्श किये बिन भाव होये निर्मल ना || (4)