आओ पधारो हे जिनवर! भाग्य हमारे जागे जी ।
भव का अंत निकट आया है, कण कण तुम्हें पुकारे जी ।।
मंगल घड़ी मंगल घड़ी , आई जिनदर्शन की मंगल घड़ी
मंगल घड़ी पावन घड़ी , आई निजदर्शन की मंगल घड़ी
मेरा रोम रोम रोमांचित पा जिनदर्शन की मंगल घड़ी ।। -2
जब नाम तुम्हारा महामन्त्र, सुन पाप सभी घबराते हैं ।
तब दर्श तुम्हारे पाकर प्रभु, हम स्वयं पूज्य बन जायेंगे ।।
दयानिधि हो दयानिधि! तुम दर्शन से ही मुक्ति जुड़ी ।। मेरा रोम रोम…
मंगल निधि मंगल निधि, हर आँगन बरसे मंगल निधि ।
है धन्य धन्य यह शुभ दिन आज, तीर्थंकर आये दयानिधि ।। मेरा रोम रोम…
रत्नकुक्षि में रत्नत्रय का, घनानंद तुमने भोगा ।
अवतरण तुम्हारा वसुधा पर, रत्नत्रय-जन्म हमें होगा ।।
आनंदमयी आनंदमयी है अंतर परिणति आनंदमयी ।। मेरा रोम रोम…
आये तीन लोक के नाथ, मोक्ष की गली खुली ।
मिलन घड़ी मिलन घड़ी, आयी मुक्ति वधू से मिलन घड़ी ।। मेरा रोम रोम…
भव-भोग-रोग से त्रस्त जनों को तुमने देह विरक्त किया ।
वीतराग मुनिराजों को बस तुमने ही अनुरक्त किया ।।
क्षमानिधि क्षमानिधि संवर निर्जर की महानदी ।। मेरा रोम रोम…
है धन्य धन्य यह शुभ दिन आज मेरे भगवन आये क्षमानिधि ।
मंगल घड़ी मंगल घड़ी, आई जिनदर्शन की मंगल घड़ी ।। मेरा रोम रोम…
Lyrics- Anubhav Ji, Kareli