मेघघटासम श्रीजिनवानी । Megh Ghata sam shri jinvani

(राग मल्हार )

मेघघटासम श्रीजिनवानी । टेक ॥।

स्यात्पद चपला चमकत जामें, बरसत ज्ञान सुपानी ।। १ ।।
धरम सस्य जातैं बहु बाढ़ैं , शिवआनंदफलदानी ।। २ ।।
मोहन धूल दबी सब यातैं, क्रोधानल सुबुझानी || ३ ||
‘भागचन्द’ बुधजन केकीकुल, लखि हरखै चितज्ञानी || ४ ||

रचयिता: कविवर श्री भागचंद जी जैन

Source: आध्यात्मिक भजन संग्रह (प्रकाशक: PTST, जयपुर )